
जशपुरनगर।। शहर के होटल महामाया में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया जिसे एन ई एस स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुर के पूर्व प्राचार्य डॉ विजय रक्षित के द्वारा संचालित किया गया ।इस बैठक में कई विशेष बिंदुओं पर चर्चा की गई। सर्वप्रथम ए आई के प्रयोग से रिसर्च के नए आयाम पर चर्चा की गई कि किस तरह एक शोधकर्ता को ए आई तकनीक का प्रयोग कर अपने रिसर्च को सरल सटीक एवं बेहतर बनाया जा सके। एन ई एस महाविद्यालय के प्रमुख ग्रंथपाल व्ही. पी .सिंह ने चैट जी पी टी के नुकसान एवं फायदे को विस्तार से समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि चैट जी पी टी से सहयोग जरूर लें लेकिन अंतत अपने विवेक का ही प्रयोग करें।
चर्चा का दूसरा विषय रिसर्च पेपर कैसे लिखें और कहां प्रकाशित करें। डॉ. विजय रक्षित ने रिसर्च पेपर की अनिवार्यता एवं आवश्यकता पर प्रकाश डाला ।उन्होंने कहा कि आज कल प्राध्यापक शोध कार्य को महत्व नहीं देते क्योंकि उन्हें उनके फायदे मालूम नहीं होते तथा दूसरी बात गहन अध्ययन करना नहीं चाहते और यही वजह है कि शिक्षा एवं शोध का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
चर्चा का तीसरा बिंदु आदिवासी धरोहर के अध्ययन एवं संरक्षण विषय पर रहा जिसकी चर्चा के लिए ख्याति प्राप्त समाज सेवी रोपन राम जी उपस्थित थे। जिनके मेहनत एवं परिश्रम से आज जिला संग्रहालय मूर्त रूप में खड़ा है उन्होंने संग्रहालय को बनाने में अपने संघर्ष की कहानी साझा की।
चर्चा का चौथा विषय जशपुर का इतिहास एवं समाज रहा जिसे लेखक एवं शिक्षक डॉ मिथिलेश पाठक ने विस्तार से समझाने की कोशिश की तथा इतिहास लेखन पर विशेष जोर दिया ।
चर्चा का पांचवा बिंदु नेक का विषय रहा जिसका सारांश बगीचा महाविद्यालय के आई क्यू ए सी कोऑर्डिनेटर डॉ राजीव रंजन तिग्गा ने सभी के समक्ष अपनी बात साझा की ।उन्होंने सभी क्राइटेरियों के सभी बिंदुओं पर आवश्यक ध्यान देने की बात कही।
बैठक का छठवा बिंदु पी. एच डी में आने वाली कठिनाइयों पर रहा जिसे दुलदुला महाविद्यालय की अतिथि अध्यापक कु. निकिता केरकेट्टा ने साझा की बैठक बेहद सकारात्मक रहा तथा पूर्ण रूपेण सफल रहा। इस विशेष बैठक के आयोजनकर्ता डॉ विजय रक्षित ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया तथा शीघ्र दूसरी बैठक आयोजित करने का भी आश्वासन दिया।